Jail or bail -जमानत या फिर जेल ?

Posted byaskbylaw_admin on September 27, 2020 
Lawyer nearme
I am confident that you will enjoy reading the said blog post and increase your understanding of the law. If you want to my team to solve your legal questions just for you. 
Know More

Introduction-Jail or bail

Jail or bail हर कोई देशमे कानून व्यवस्था का निर्माण पार्लियामेंट द्वारा किया जाता हे, कुछ कानून सिविल प्रकारके होते हे जिसमे नुकसानी मुआवजा या अन्य प्रकार के न्यायी उपाय प्रदान किये जाते हे। विश्व के सभी देशोमे अपराध के लिए भी अलग-अलग प्रकारके कानून का निर्माण किया गया हे, भारतमें इंडियन पीनल कोड याने के भारतीय दंड संहिता का निर्माण किया गया हे, इंडियन पीनल कोड के साथ क्रिमिनल प्रोसीजर कोड का भी निर्माण किया गया हे। अगर कोई नागरिक देश के कानून का पालन नहीं करता या फिर कोई जुर्म करता हे तो देश की पुलिस को कानून से प्राप्त सत्ता के आधार पर जुर्म करनेवाले नागरिक की गिरफ्तारी कर के नागरिक को कानून में नियत किये गए कुछ समय तक या फिर आजीवन जेलमे बंध कर सकती हे। कोईभी नागरिक हो उसको मानवाधिकार का रक्षण मिलता हे। कोई भी देश की पुलिसको कानून में निर्दिष्ट की गए कानून की सीमा में रह काम करना होता हे। कानूनी प्रक्रिया से जुड़े लोग याने की पुलिस, कोर्ट के जज,वकील, पत्रकार, नेता, डॉक्टर अभी को कानून के दायरेमें रहकर ही काम करके जनता में न्याय का भरोसा स्थापित करना होता हे या फिर न्याय के विश्वास को चट्टान की तरह मजबूत करके सामाजिक और कानून व्यवस्था श्रेष्ठ राष्ट्र निर्माण करने का उदेश्य होता हे।

Jail or Bail

कानून व्यवस्था के पालन हेतु कई गवर्नमेंट एजेंसी काम करती हे जिनको गुनाह करने वाले इंसान को गिरफ्तार करके उसे कोर्टसे सजा दिलवाने का या फिर इंसान निर्दोष हे तो बाइज्जत बरी करने का काम और प्रक्रिया करनी होती हे। पुलिस, सी.बी.आई., सी.आई.डी., ट्रैफिक पुलिस, सी.आर.पि.एफ., बी.एस.एफ. को कोईभी गुनाह करनेवाले व्यक्ति की या फिर शंकास्पद व्यक्तिकी गिरफ्तारी करनेका अधिकार या सत्ता कानून से प्रदान की गयी हे। जाँच एजेंसी को डायरी और क्रिमिनल प्रोसीजर कोड का उपयोग करके सारा प्रोसेस पूरा करना होता हे।

Court Proceedings

जब कोई इंसान को पुलिस पकड़कर ले जाती हे तब लोग मानते हे की उसने कोई गलत काम याने के गुनाह किया होगा,पुलिस गिरफ्तार किये गए इंसान को कोर्ट में प्रस्तुत करती हे और कोर्ट को व्यक्तिने क्या किया हे वो सब पुलिस कोर्ट को बताती हे, गुनाह दो प्रकार के होते हे (१) जमानत योग्य गुनाह (२) गैर जमानती गुनाह। कोनसा गुनाह जमानत योग्य गुनाह हे और कोनसा गुनाह गैर- जमानती गुनाह हे उसका विवरण क्रिमिनल प्रोसीजर कोड में किया गया हे पुलिस ने गिरफ्तार किये इंसान को गिरफ्तार होनेसे कुछ ही दिनोमे नामदार अदालत में जमानत याचिका दायर करनी होती हे।

(१) जमानत योग्य गुनाह
जमानत योग्य अपराधमें ७ सालके निचे या फिर ७ साल तक के अपराधकी सजाके प्रावधान का समावेश किया गया हे।क्रिमिनल प्रोसीजर कोडमें निर्दिष्ट किये गए जमानत योग्य गुनाहमें गिरफ्तार हुए इंसान की अदालतमे जमानत याचिका दाखिल करने के बाद अदालत गिरफ्तार किए गए इन्सानकी याचिका की जाँच करके पुलिस की तरफसे सरकारी वकील को और गिरफ्तार किये गए इंसानके वकील को अपना पक्ष रखने के लिए कहेगी। सभी पक्षों को सुनने के बाद और प्रस्तुत किये गए एविडन्स को ध्यानमे लेकर अदालत अपनी कानून के मुताबित अपनी विवेकबुद्धि का उपयोग करके कुछ रीजनेबल शर्तोंके आधार पर गिरफ्तार किये गए नागरिक को जमानत दे सकती हे। जमानत योग्य गुनाहमें गिरफ्तार हुए इंसान को जमानत प्राप्त करनेका अधिकार इस्तेमाल करनेका प्रावधान किया गया हे ये बात नामदार सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय किये रसिकलाल वीरूध किशोर सन आफ खानचंद वढवान के केसमे स्पष्ट की हे। पुलिस ने कोई नागरिक की गिरफ्तारी स्पेशल कानून ते तहत की हे और वो स्पेशल कानूनमें जमानत देने के कोई स्पष्टरूपसे कोई प्रावधान नहीं हे तो नामदार अदालत को क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के तहत जमानत देने की याचिका करनी चाहिए।

(२) गैर जमानती गुनाह

गैर जमानती गुनाहमें ७ सालके ऊपर या फिर आजीवन कारावास तक के अपराधकी सजाके प्रावधान का समावेश किया गया हे।गैर जमानती गुनाहमें अदालत को अपने डिस्क्रिशनरी पावर का उपयोग करके जमानत याचिका का निर्णय करना होता हे, गैर जमानती अपराधमें अदालतको क्रिमिनल जस्टिस के मुलभुत सिधान्तो का अनुसरण करना होता हे, गैर जमानती अपराध में अदालतको नामदार सुप्रीम कोर्टके जस्टिस कृष्णा अय्यर ने १९९८मे जो सैद्धांतिक निर्णय किया हे वो निर्णय को फॉलो करना होता हे। वो सिद्धांत ये हे की BAIL IS RULE AND JAIL IS EXCEPTION गैर जमानती अपराधमें जमानत प्राप्त करने के लिए क्या-क्या सबमिट करना जरुरी हे इसकी चर्चा यहाँ करते हे (१) सी.आर.पी.सी. ४३७ के प्रावधान के मुताबिक जमानत के लिए लोअर कोर्टमे आरोपी को याचिका दाखिल करनी होती हे और सी.आर.पी.सी. ४३९ के प्रावधान के मुताबकि जमानत के लिए सेशन कोर्ट और हाईकोर्ट में जमानत याचिका अरोपिको दाखिल करनी होती हे।

(३) अग्रिम जमानत

अग्रिम जमानत के लिए आरोपी सी.आर.पी.सी. ४३८ के तहत नामदार सुप्रीम कोर्ट या फिर नामदार हाईकोर्ट या सेशन कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकता हे, अग्रिम जमानत पानेके लिए आरोपी को अदालतमे ये बताना पड़ेगा और विश्वास दिलाना पड़ेगा की वो उसके खिलाफ हो रही न्यायिक जाँच को प्रभावित या दूषित नहीं करेगा, जाँच को रुकने नहीं देगा, विटनेस को प्रभावित नहीं करेगा या किसी प्रकारकी हानि नहीं पहुचायेगा, आरोपी को अदालतको यह विश्वास दिलाना होगा की अंतिम निर्णय होने तक वो देश छोड़कर भाग नहीं जायेगा और अपना पासपोर्ट वो अदालतमे सर्रेंडर कर देगा, अगर रिमांड होगा तो उसमे वो जाँच अधिकारी को पूरा सहयोग करेगा ये सब बातोंका अदालतको विश्वास दिलाना होता हे, हियरिंग पूरा होने के बाद अदालत अग्रिम जमानत याचिका पर अपना निर्णय करेगी की आरोपी को अग्रिम जमानत मिलनी चाहिए या नहीं।

(४) डिफ़ॉल्ट जमानत

क्रिमिनल कानून के मुताबित जाँच अधिकारी को कानून में निर्दिष्ट किये गए प्रावधानों के तहत आरोपी के विरुद्ध नियत दिनोमे चार्जशीट दाखिल करनी होती हे, अगर जाँच अधिकारी नियत की गयी समय मर्यादामे चार्जशीट अदालतमे फाइल नहीं करते तो आरोपी को क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की सेक्शन ६७(२) के मुताबिक डिफ़ॉल्ट जमानत का अधिकार आरोपी उपयोग कर सकता हे।

ये आर्टिकल के बारेमे अगर आपको ज्यादा जानने की जरुरत हे तो आप मेरे आर्टिकल के नीचे कमेंट का प्रावधान किया गया हे, जिसके जरिए आप अपनी समय मुज तक पहुचाकर अपनी कानूनी समस्याका कानूनी समाधान प्राप्त कर सकते हे।

धन्यवादhttps://askbylaw.com/wp-admin/post.php?post=232&action=edit

askbylaw_admin

VIREN S. DAVE Attorney Viren Dave Globe is a legal services Provider online. Viren Dave is the founder and Main partner of a law firm called Attorney Askbylaw Associates. He specializes in enhancing engagement and user peace of mind by helping troubleshoot user legal queries. And, starting his career as a lawyer, he supports solving many legal issues in civil, criminal, property, consumer, family, corporate and other law. You can find him on his blog

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Janitor AI on Reddit: 1 legal review hack Read More
Janitor AI vs. Open AI : 1 best review Read More
What are AI trade secrets? (5 tips to protect trade) Read More
What is an AI law? (1 expert legal review) Read More
false copyright claim on YouTube: 1 Expert guide Read More
What are DMCA takedowns? Now 1 useful review Read More
DMCA Takedowns on YouTube: Protect 30%+ fair use against copyright infringement Read More
copyright claim on youtube| 1 best copyright strike Read More
How to protect your intellectual property 100%? | Intellectual property lawyers Read More
Cybercrime | Cyber law cases-Best 1ways to protect your cyber life Read More
1 2 3 12

                  Best Corporate law firm in Tier 1 countries

Legal practicing Area of Askbylaw

India 

United states of America-USA

United Kingdom

Japan

Germany

Canada

China 

Australia 

Brazil

France

  • International trade and Finance law
  • Cross-Border Murger and Acquisition (M&A)
  • Global Technology Law (Include IP Law)
  • International Arbitration And Dispute Resolution
  • Cyber Security and Data Privacy laws
  • International Tax Laws
  • Global Employment and Labour Laws
  • Healthcare Laws
  • Family Laws
  • Sports laws

Ask your legal questions for FREE


Developed by The Dhwalin

As per the foundations of the Bar Council of Bharat (India), Advocate Viren.S.Dave isn't permissible to solicit work and advertise. By clicking the “Agree” button and accessing this web site (www.asklbylaw.com) the user absolutely accepts that you just Maineasure} seeking info of your own accord and volition which no kind of solicitation has taken place by me.The info provided below this web site is exclusively accessible at your request for information functions solely. It mustn't be understood as soliciting or advert. Advocate Viren.S.Dave isn't accountable for any consequence of any action taken by the user hoping on material / info provided below this web site. In cases wherever the user has any legal problems, he/she altogether cases should obtain freelance legal recommendation.

linkedin facebook pinterest youtube rss twitter instagram facebook-blank rss-blank linkedin-blank pinterest youtube twitter instagram