Capital gain tax on Agriculture Land-कृषि भूमि धारको के एक ही सवाल बार बार पूछे जानने पर यहाँ में विस्तारसे केपिटल गेन टेक्स कृषि भूमि पर लागु कब होता हे.और लागु नहीं होता इसके बारेमे चर्चा करी हे जो आपके काम आ सकती हे।
किसान अपनी कृषि भूमि किसी को बेचता हे या फिर देश की सरकार किसी पब्लिक पर्पस के लिए एक्वायर करती हे तब किसान को केपिटल गेन टेक्स चुकाने की जिम्मेदारी कृषि भूमि धारक पर रखी गयी हे .
या फिर कृषि भूमि धारक को कैपिटल गेन टेक्स भरनेसे मुक्ति प्रदान की गयी हे ये सब बाते कृषि भूमि धारक के लिए जानना अनिवार्य हे।
कृषि भूमि के बारेमे भारतीय इनकम टेक्स कानून के क्या-क्या प्रावधान हे इसकी चर्चा नीचे की गयी हे।
इनकम टेक्स कानून की सेक्शन २(१-अ) के मुताबिक कृषि भूमि की आय की व्याख्या सेक्शन-२(१४) कैपिटल संपत्ति की व्याख्या और कैपिटल गेन टेक्स कानून की सेक्शन-२(इ) को साथ रखकर अध्ययन करने के बाद पता चलता हे.
केंद्र सरकारने ०६/०१/१९९४ और २८/०२/१९९९ के नोटिफिकेशन के द्वारा भारत देश के अलग-अलग राज्यों के शहरोकी फिक्स हुयी म्युनिसिपल बाउंड्री से ८ किलोमीटर तक आयी हुई जमीनों का समावेश किया गया हे.
समयपर यह नोटिफिकेशनोमे सुदार लाकर नए शहरो की और उनके सम्बंधित म्युनिसिपल बाउंड्रीसे फिक्स किये गए डिस्टन्स में ज्यादा सुधार नहीं लाना पड़े वो मंशासे फाइनेंस बिल में कुछ इस प्रकारके प्रावधान किये गए हे।
१. ऊपर दर्शये गए ऑब्जेक्ट के लिए दस हजारसे एक लाख तक की जन आबादी वाले शहरोके लिए उस शहर की म्युनिसिपल बाउंड्री से लेकर २ किलोमीटर के सराऊँडिंग विस्तार को ध्यानमे लेना होगा।
२. एक लाख से दस लाख तक की जन आबादी वाले शहरोके लिए उस शहर की म्युनिसिपल बाउंड्री से लेकर ६ किलोमीटर के सराऊँडिंग विस्तार को ध्यानमे लेना होगा।
३. दस लाख से ऊपरकी जन आबादी वाले शहरोके लिए उस शहर की म्युनिसिपल बाउंड्री से लेकर ८ किलोमीटर के सराऊँडिंग विस्तार को ध्यानमे लेना होगा।
जन आबादी गणना के लिए वित्तीय वर्ष के पहले प्रकाशित किये गए दस वर्षीय आबादी के आंकडेको ध्यानमे लेकर निर्णय करना होगा.
कृषि भूमि को करमुक्त माना जायेगा या नहीं ?
संपत्ति कानून की सेक्शन-२ (इ/अ) में जो "संपत्ति" म्युनिसिपल बाउंड्री के २५ किलोमीटर्स के अंदर अगर फार्म हाउस भी आता हे तो फार्म हाउस की गिनती भी टैक्सेबल एसेटमें किये जाने का प्रावधान हे।
लेकिंन, कृषि भूमि पर बनाया गया फार्म हाउस, किसी शहर की म्युनिसिपल बाउंड्री के २५ किलोमीटर्स के बाद के विस्तारमे आता हे तो वो करमुक्त गिना जायेगा।
इसके अलावा कोई व्यक्ति या हिन्दू अविभक्त कुटुम्ब याने के एच.यु.एफ. हो ऐसे केसमे उनकी प्रॉपर्टी या फिर प्रॉपर्टी का कुछ हिस्सा सेक्शन-५(१) (६) के तहत टेक्स फ्री गिना जायेगा। यह प्रावधान से फार्म हाउस के सबंधमे टेक्स एक्सेम्पशन भी क्लेम कर सकते हे।
" कृषि भूमि" को संपत्ति कानून की डेफिनेशन में स्पष्टरूपसे समावेश नहीं किया गया हे. संपत्ति कानून के तहत शहर की भूमि जो की म्युनिसिपल एरिया की बाउंड्रीमें आयी हुई हो और बाउंड्रीसे ८ किलोमीटर्स तक के विस्तार जो केंद्र सरकारने ये हेतु को पूरा करने के लिए प्रकाशीत किये गये अलग -अलग नोटिफिकेशन के जरिए निर्दिष्ट की गयी भूमि को टैक्सेबल असेट कहा जाता हे।
जबकि इसमें कुछ अपवाद दिए गए हे, जिसमे १. जिस भूमि पर कन्स्ट्रक्शन करना पॉसिबल नहीं हो ऐसी भूमि को टैक्सेबल नहीं गिना जाएगा (२) revenue कानून के तहत कृषि भूमि पर कन्स्ट्रुइक्शन नहीं किया जा सकता इस तर्कके आधार पर शहरमे आयी हुई कृषि भूमि को भी टैक्सेबल प्रॉपर्टी गईं नहीं सकते। उसके अलावा क्रॉप, ट्री , एनिमल कृषि औजार जैसे विविध वस्तु को भी मिलकत की डेफिनेशन में रखा नहीं गया हे , इसी वजह से टोटली करमुक्त गिना जा सकता हे।
कृषि भूमि अगर शहर के विस्तारमे में आयी हो तो भी कृषि भूमि को असरकर्ता अन्य कानून में किये गए प्रावधान के कारन ही नॉन एग्रीकल्चर भूमि पर हो कन्स्ट्रक्शन किया जा सकता हे, एग्रीकल्चर भूमि पर कंस्ट्रक्शन नहीं किया जा सकता हे इस आधार पर ही शहर की भूमि की व्याख्यामे निर्दिस्ट किये गए अपवाद को ध्यान में रखकर ही निर्णय करना होगा, इस प्रकारसे कृषिभूमि के अपवादको मानकर कृषि भूमि पर कोई जिम्मेदारी केंद्र सरकारने उत्पन्न नहीं की हे, और कृषि भूमि को करमुक्त रखा गया हे ।
इसका आधार कमिश्नर ऑफ़ वेल्थ टेक्स विरुद्ध इ. उदयकुमार के केसमे मद्रास हाई कोर्ट निर्णय में यह बात प्रस्थापित होती हे।
इ. उदयकुमार के केसमे मद्रास हाईकोर्टने अपना निर्णय सुनते हुए कहा की बिक्री दस्तावेज अन्य तीन बिक्री दस्तावेज को असरकर्ता हे, उन्होंने प्रावधान ५४बी के तहत करमुक्ति की डिमांड की थी क्योकि उन्होंने कृषि भूमि को बेचकर दो साल के अंदर दूसरी नई कृषि भूमि खरीद कर ली थी, एसेसिंग अफसरने ये कहकर क्लेम रिजेक्ट कर दिया था की इनके पास कृषि भूमि का होल्डिंग नहीं हे.
तब असेसीने कमिश्नर ऑफ अपील्स को अप्रोच किया तो उन्होंने भी असेसी का क्लेम रिजेक्ट कर दिया उसके बाद असेसीने ट्रिब्यूनल को अपना केस अप्रोच किया ट्रिब्यूनल ने माना की असेसी का क्लेम एक्सेप्टेबल हे.
तब वेल्थ टेक्स डिपार्टमेंटने हाईकोर्ट में अप्रोच किया और मद्रास हाई कोर्टने ये निर्णय सुनाया की असेसी को सेक्शन ५४बी के तहत एक्सेम्पशन मिलना चाहिए क्योकि डिपार्टमेंट की अपील्स में कोई मेरिट या रेश्यो नहीं हे इसी लिए डिपार्टमेंट की अपील्स को ख़ारिज किया जाता हे।
कमिश्नर ऑफ़ वेल्थ टेक्स विरुद्ध लेट.रिटायर आर.के.मेहरा के केस में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष आये केसमे अपना निर्णय सुनाते हुए कहा की असेसी की भूमि अर्बन भूमि हे इसीसलिए अर्बन भूमि में कंस्ट्रक्शन रेवेन्यू कानून के तहत पेर्मिसिबल नहीं हे.
इसीलिए यह केस सीधा असेसी-रिस्पोंडेंट को कवर करता हे, डिपार्टमेंट की अपील्स में कोई मेरिट या रेश्यो नहीं हे इसी लिए डिपार्टमेंट की अपील्स को ख़ारिज किया जाता हे।
इस प्रकार प्रस्थापित कानून और नए सुधार को ध्यानमे लेते हुए कृषि भूमि धारकोको संपत्ति कर भरना पडेगा इस प्रकार के दृष्टिकोण को कानूनी स्वरुपसे माना नहीं जाना चाहिए.
कृषि भूमि धारण करनेवाले मालिक को किसी प्रकारसे डरनेकी जरुरत नहीं हे, उम्मीद करता हु की में और मेरे आर्टिकल आपको काम आएंगे
ये आर्टिकल के बारेमे आपको ज्यादा जानने की जरुरत हे तो आपके लिए कमेंट का प्रावधान किया गया हे.
जिसके जरिए आप अपनी समय मुज तक पहुचाकर अपनी कानूनी समस्याका कानूनी समाधान प्राप्त कर सकते हे।
धन्यवाद
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